जिसने सीधी राह अपनायी, उसने अपने ही लिए सीधी राह अपनायी और जो सीधी राह से विचलित हो गया, उसका (दुष्परिणाम) उसीपर है और कोई दूसरे का बोझ (अपने ऊपर) नहीं लादेगा[1] और हम यातना देने वाले नहीं हैं, जब तक कि कोई रसूल न भेजें[2]।
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1. आयत का भावार्थ यह है कि जो सदाचार करता है, वह किसी पर उपकार नहीं करता। बल्कि उस का लाभ उसी को मिलना है। और जो दुराचार करता है, उस का दण्ड भी उसी को भोगना है। 2. ताकि वे यह बहाना न कर सकें कि हम ने सीधी राह को जाना ही नहीं था।