हे नबी! हमने ह़लाल (वैध) कर दिया है आपके लिए आपकी पत्नियों को, जिन्हें चुका दिया हो आपने उनका महर (विवाह उपहार) तथा जो आपके स्वामित्व में हो, उसमें से, जो प्रदान किया है अल्लाह ने आप[1] को तथा आपके चाचा की पुत्रियों, आपकी फूफी की पुत्रियों, आपके मामा की पुत्रियों तथा मौसी की पुत्रियों को, जिन्होंने हिजरत की है आपके साथ तथा किसी भी ईमान वाली नारी को, यदि वह स्वयं को दान कर दे नबी के लिए, यदि नबी चाहें कि उससे विवाह कर लें। ये विशेष है आपके लिए अन्य ईमान लालों को छोड़कर। हमें ज्ञान है उसका, जो हमने अनिवार्य किया है उनपर, उनकी पत्नियों तथा उनके स्वामित्व में आयी दासियों के सम्बंध[2] में। ताकि तुमपर कोई संकीर्णता (तंगी) न हो और अल्लाह अति क्षमी, दयावान् है।
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1. अर्थात वह दासियाँ जो युध्द में आप के हाथ आई हों। 2. अर्थात यह कि चार पत्नियों से अधिक न रखो तथा महर (विवाह उपहार) और विवाह के समय दो साक्षी बनाना और दासियों के लिये चार का प्रतिबंध न होना एवं सब का भरण-पोषण और सब के साथ अच्छा व्यवहार करना इत्यादि।


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