अथवा उन्हें पुत्र और[1] पुत्रियाँ मिलाकर देता है और जिसे चाहे, बाँझ बना देता है। वास्तव में, वह सब कुछ जानने वाला (तथा) सामर्थ्य रखने वाला है।
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1. इस आयत में संकेत है कि पुत्र-पुत्री माँगने के लिये किसी पीर, फ़क़ीर के मज़ार पर जाना उन को अल्लाह की शक्ति में साझी बनाना है। जो शिर्क है। और शिर्क ऐसा पाप है जिस के लिये बिना तौबा के कोई क्षमा नहीं।


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