हे नबी! जब आयें आपके पास ईमान वालियाँ, ताकि[1] वचन दें आपको इस बात पर कि वे साझी नहीं बनायेंगी अल्लाह का किसी को, न चोरी करेंगी, न व्यभिचार करेंगी, न वध करेंगी अपनी संतान को, न कोई ऐसा आरोप (कलंक) लगायेंगी जिसे उन्होंने घड़ लिया हो अपने हाथों तथा पैरों के आगे और न अवज्ञा करेंगी आपकी किसी भले काम में, तो आप वचन ले लिया करें उनसे तथा क्षमा की प्रार्थना करें उनके लिए अल्लाह से। वास्तव में अल्लाह अति क्षमाशील तथा दयावान् है।
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1. ह़दीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) इस आयत द्वारा उन की परीक्षा लेते और जो मान लेती उस से कहते कि जाओ मैं ने तुम से वचन ले लिया। और आप ने (अपनी पत्नियों के इलावा) कभी किसी नारी के हाथ को हाथ नहीं लगाया। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4891, 93, 94,95)