तो उनके अपना वचन भंग करने के कारण, हमने उन्हें धिक्कार दिया और उनके दिलों को कड़ा कर दिया। वे अल्लाह की बातों को, उनके वास्तविक स्थानों से फेर देते[1] हैं तथा जिस बात का उन्हें निर्देश दिया गया था, उसे भुला दिया और (अब) आप बराबर उनके किसी न किसी विश्वासघात से सूचित होते रहेंगे, परन्तु उनमें बहुत थोड़े के सिवा, जो ऐसा नहीं करते। अतः आप उन्हें क्षमा कर दें और उन्हें जाने दें। निःसंदेह अल्लाह उपकारियों से प्रेम करता है।
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1. सह़ीह़ ह़दीस में आया है कि कुछ यहूदी, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास एक नर और नारी को लाये जिन्हों ने व्यभिचार किया था, आप ने कहाः तुम तौरात में क्या पाते हो? उन्हों ने कहाः उन का अपमान करें और कोड़े मारें। अब्दुल्लाह बिन सलाम ने कहाः तुम झूठे हो, बल्कि उस में (रज्म) करने का आदेश है। तौरात लाओ। वह तौरात लाये तो एक ने रज्म की आयत पर हाथ रख दिया और आगे-पीछे पढ़ दिया। अब्दुल्लाह बिन सलाम ने कहाः हाथ उठाओ। उस ने हाथ उठाया तो उस में रज्म की आयत थी। (सह़ीह़ बुख़ारीः3559, सह़ीह़ मुस्लिमः1699)


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