ترجمة معاني سورة الإخلاص باللغة الهندية من كتاب الترجمة الهندية .
من تأليف: مولانا عزيز الحق العمري .

(हे ईश दूत!) कह दोः अल्लाह अकेला है।[1]
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1. आयत संख्या 1 में 'अह़द' शब्द का प्रयोग हुआ है जिस का अर्थ है, उस का अस्तित्व एवं गुणों में कोई साझी नहीं है। यहाँ 'अह़द' शब्द का प्रयोग यह बताने के लिये किया गया है कि वह अकेला है। वह वृक्ष के समान एक नहीं है जिस की अनेक शाखायें होती हैं। आयत संख्या 2 में 'समद' शब्द का प्रयोग हुआ है जिस का अर्थ है अब्रण होना। अर्थात जिस में कोई छिद्र न हो जिस से कुछ निकले, या वह किसी से निकले। और आयत संख्या 3 इसी अर्थ की व्याख्या करती है कि न उस की कोई संतान है और न वह किसी की संतान है।
अल्लाह निःछिद्र है।
न उसकी कोई संतान है और न वह किसी की संतान है।
और न उसके बराबर कोई है।[1]
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1. इस आयत में यह बताया गया है कि उस की प्रतिमा तथा उस के बराबर और समतुल्य कोई नहीं है। उस के कर्म, गुण और अधिकार में कोई किसी रूप में बराबर नहीं। न उस की कोई जाति है न परिवार। इन आयतों में क़ुर्आन उन विषयों को जो जातियों के तौह़ीद से फिसलने का कारण बने उसे अनेक रूप में वर्णित करता है। और देवियों और देवताओं के विवाहों और उन के पुत्र और पौत्रों का जो विवरण देव मालाओं में मिलता है क़ुर्आन ने उसी का खण्डन किया है।