ترجمة سورة السجدة

الترجمة الهندية
ترجمة معاني سورة السجدة باللغة الهندية من كتاب الترجمة الهندية .
من تأليف: مولانا عزيز الحق العمري .

अलिफ लाम मीम।
इस पुस्तक का उतारना, जिसमें कोई संदेह नहीं पूरे संसार के पालनहार की ओर से है।
क्या वे कहते हैं कि इसे, इसने घड़ लिया है? बल्कि ये सत्य है आपके पालनहार की ओर से, ताकि आप सावधान करें उन लोगों को, जिन[1] के पास नहीं आया है कोई सावधान करने वाला आपसे पहले। संभव है वे सीधी राह पर आ जायें।
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1. इस से अभिप्राय मक्का वासी हैं।
अल्लाह वही है, जिसने पैदा किया आकाशों तथा धरती को और जो दोनों के मध्य है, छः दिनों में। फिर स्थित हो गया अर्श पर। नहीं है उसके सिवा तुम्हारा कोई संरक्षक और न कोई अभिस्तावक (सिफ़ारिशी), तो क्या तुम शिक्षा नहीं लेते?
वह उपाय करता है प्रत्येक कार्य की आकाश से धरती तक, फिर प्रत्येक कार्य, ऊपर उसके पास जाता है, एक दिन में, जिसका माप एक हज़ार वर्ष है, तुम्हारी गणना से।
वही है ज्ञानी छुपे तथा खुले का, अति प्रभुत्वशाली, दयावान्।
जिनने सुन्दर बनाई प्रत्येक चीज़, जो उत्पन्न की और आरंभ की मनुष्य की उत्पत्ति मिट्टी से।
फिर बनाया उसका वंश एक तुच्छ जल के निचोड़ (वीर्य) से।
फिर बराबर किया उसे और फूंक दिया उसमें अपनी आत्मा (प्राण) तथा बनाये तुम्हारे लिए कान और आँख तथा दिल। तुम कम ही कृतज्ञ होते हो।
तथा उन्होंने कहाः क्या जब हम खो जायेंगे धरती में, तो क्या हम नई उत्पत्ति में होंगे? बल्कि वे अपने पालनहार से मिलने का इन्कार करने वाले हैं।
आप कह दें कि तुम्हारा प्राण निकाल लेगा मौत का फ़रिश्ता, जो तुमपर नियुक्त किया गया है, फिर अपने पालनहार की ओर फेर दिये जाओगे।[1]
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1. अर्थात नई उत्पत्ति पर आश्चर्य करने से पहले इस पर विचार करो कि मरण तो आत्मा के शरीर से विलग हो जाने का नाम है जो दूसरे स्थान पर चली जाती है। और परलोक में उसे नया जन्म दे दिया जायेगा फिर उसे अपने कर्म के अनुसार स्वर्ग अथवा नरक में पहुँचा दिया जायेगा।
और यदि आप देखते, जब अपराधी अपने सिर झुकाये होंगे अपने पालनहार के समक्ष, (वे कह रहे होंगेः) हे हमारे पालनहार! हमने देख लिया और सुन लिया, अतः, हमें फेर दे (संसार में) हम सदाचार करेंगे। हमें पूरा विश्वास हो गया।
और यदि हम चाहते, तो प्रदान कर देते प्रत्येक प्राणी को उसका मार्गदर्शन। परन्तु, मेरी ये बात सत्य होकर रही कि मैं अवश्य भरूँगा नरक को जिन्नों तथा मानव से।
तो चखो, अपने भूल जाने के कारण अपने इस दिन के मिलने को, हमने (भी) तुम्हें भुला दिया[1] है। चखो, सदा की यातना उसके बदले, जो तुम कर रहे थे।
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1. अर्थात आज तुम पर मेरी कोई दया नहीं होगी।
हमारी आयतों पर बस वही ईमान लाते हैं, जिनको जब समझाया जाये उनसे, तो गिर जाते हैं सज्दा करते हुए और पवित्रता का गान करते हैं, अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ और अभिमान नहीं करते।[1]
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1. यहाँ सज्दा तिलावत करना चाहिये।
अलग रहते हैं उनके पार्शव (पहलू) बिस्तर से, वह प्रार्थना करते रहते हैं अपने पालनहार से भय तथा आशा रखते हुए तथा उसमें से, जो हमने उन्हें प्रदान किया है, दान करते रहते हैं।
तो नहीं जानता कोई प्राणी उसे, जो हमने छुपा रखा है उनके लिए आँखों की ठण्डक[1] उसके प्रतिफल में, जो वह कर रहे थे।
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1. ह़दीस में है कि अल्लाह ने कहा है कि मैं ने अपने सदाचारी भक्तों के लिये ऐसी चीज़ें तैयार की हैं जिन्हें न किसी आँख ने देखा है और न किसी कान ने सुना है और न किसी मनुष्य के दिल में उन का विचार आया। फिर आप ने यही आयत पढ़ी। (सह़ीह़ बुख़ारीः4780)
फिर क्या, जो ईमान वाला हो, उसके समान है, जो अवज्ञाकारी हो? वे सब समान नहीं हो सकेंगे।
जो ईमान लाये तथा सदाचार किये, तो उन्हीं के लिए स्थायी स्वर्ग हैं, अतिथि सत्कार के लिए, उसके बदले, जो वे करते रहे।
और जो अवज्ञा कर गये, उनका आवास नरक है। जब-जब वे निकलना चाहेंगे उसमें से, तो फेर दिये जायेंगे उसमें तथा कहा जायेगा उनसे कि चखो उस अग्नि की यातना, जिसे तुम झुठला रहे थे।
और हम अवश्य चखायेंगे उन्हें सांसारिक यातना, बड़ी यातना से पूर्व ताकि वे फिर[1] आयें।
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1. अर्थात ईमान लायें और अपने कुकर्म से क्षमा याचना कर लें।
और उससे अधिक अत्याचारी कौन है, जिसे शिक्षा दी जाये उसके पालनहार की आयतों द्वारा, फिर विमुख हो जाये उनसे? वास्तव में, हम अपराधियों से बदला लेने वाले हैं।
तथा हमने मूसा को प्रदान की (तौरात) तो आप न हों किसी संदेह में, उस[1] से मिलने में तथा बनाया हमने उसे (तौरात को) मार्गदर्शन इस्राईल की संतान के लिए।
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1. इस में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के मेराज की रात्रि में मूसा (अलैहिस्सलाम) से मिलने की ओर संकेत है। जिस में मूसा (अलैहिस्सलाम) ने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को अल्लाह से पचास को नमाज़ों पाँच कराने का प्रामर्श दिया था। (सह़ीह़ बुख़ारीः3207, मुस्लिमः164)
तो हमने उनमें से अग्रणी बनाये, जो मार्गदर्शन देते रहे हमारे आदेश द्वारा, जब उन्होंने सहन किया तथा हमारी आयतों पर विश्वास[1] करते रहे।
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1. अर्थ यह है कि आप भी धैर्य तथा पूरे विश्वास के साथ लोगों को सुपथ दर्शायें।
वस्तुतः, आपका पालनहार ही निर्णय करेगा, उनके बीच प्रलय के दिन जिसमें वे विभेद करते रहे।
तो क्या मार्गदर्शन नहीं कराया उन्हें कि हमने ध्वस्त कर दिया इससे पूर्व बहुत-से युग के लोगों को, जो चल-फिर रहे थे अपने घरों में। वास्तव में, इसमें बहुत-सी निशानियाँ (शिक्षायें) हैं, तो क्या वे सुनते नहीं हैं?
क्या उन्होंने नहीं देखा कि हम बहा ले जाते हैं, जल को, सूखी भूमि की ओर, फिर उपजाते हैं उसके द्वारा खेतियाँ, खाते हैं जिनमें से उनके चौपाये तथा वे स्वयं। तो क्या वे ग़ौर नहीं करते?
तथा कहते हैं कि कब होगा वह निर्णय यदि तुम सच्चे हो?
आप कह दें: निर्णय के दिन लाभ नहीं देगा काफ़िरों को, उनका ईमान लाना[1] और न उन्हें अवसर दिया जायेगा।
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1. इन आयतों में मक्का के काफ़िरों को सावधान किया गया है कि इतिहास से शिक्षा ग्रहण करो, जिस जाति ने भी अल्लाह के रसूलों का विरोध किया उस को संसार से निरस्त कर दिया गया। तुम निर्णय की माँग करते हो तो जब निर्णय का दिन आ जायेगा तो तुम्हारे संभाले नहीं संभलेगी और उस समय का ईमान कोई लाभ नहीं देगा।
अतः, आप विमुख हो जायें उनसे तथा प्रतीक्षा करें। ये भी प्रतीक्षा करने वाले हैं।
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