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1. (1-9) इन आयतों में अल्लाह ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से फ़रमाया है कि तुम्हें यह चिन्ता कैसे हो गई है कि हम अप्रसन्न हो गये? हम ने तो तुम्हारे जन्म के दिन से निरन्तर तुम पर उपकार किये हैं। तुम अनाथ थे तो तुम्हारे पालन और रक्षा की व्यवस्था की। राह से अंजान थे तो राह दिखाई। निर्धन थे तो धनी बना दिया। यह बातें बता रही हैं कि तुम आरम्भ ही से हमारे प्रियवर हो और तुम पर हमारा उपकार निरन्तर है।
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1. (10-11) इन अन्तिम आयतों में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बताया गया है कि हम ने तुम पर जो उपकार किये हैं उन के बदले में तुम अल्लाह की उत्पत्ति के साथ दया और उपकार करो यही हमारे उपकारों की कृतज्ञता होगी।