ترجمة سورة التكوير

الترجمة الهندية
ترجمة معاني سورة التكوير باللغة الهندية من كتاب الترجمة الهندية .
من تأليف: مولانا عزيز الحق العمري .

जब सूर्य लपेट दिया जायेगा।
और जब तारे धुमिल हो जायेंगे।
जब पर्वत चलाये जायेंगे।
और जब दस महीने की गाभिन ऊँटनियाँ छोड़ दी जायेंगी।
और जब वन् पशु एकत्र कर दिये जायेंगे।
और जब सागर भड़काये जायेंगे।[1]
____________________
1. (1-6) इन में प्रलय के प्रथम चरण में विश्व में जो उथल पुथल होगी उस को दिखाया गया है कि आकाश, धरती और पर्वत, सागर तथा जीव जन्तुओं की क्या दशा होगी। और माया मोह में पड़ा इन्सान इसी संसार में अपने प्रियवर धन से कैसा बेपरवाह हो जायेगा। वन पशु भी भय के मारे एकत्र हो जायेंगे। सागरों के जल-पलावन से धरती जल थल हो जायेगी।
और जब प्राण जोड़ दिये जायेंगे।
और जब जीवित गाड़ी गयी कन्या से प्रश्न किया जायेगाः
कि वह किस अपराध के कारण वध की गयी।
तथा जब कर्मपत्र फैला दिये जायेंगे।
और जब आकाश की खाल उतार दी जायेगी।
और जब नरक दहकाई जायेगी।
और जब स्वर्ग समीप लाई जायेगी।
तो प्रत्येक प्राणी जान लेगा कि वह क्या लेकर आया है।[1]
____________________
1. (7-14) इन आयतों में प्रलय के दूसरे चरण की दशा को दर्शाया गया है कि इन्सानों की आस्था और कर्मों के अनुसार श्रेणियाँ बनेंगी। नृशंसितों (मज़लूमों) के साथ न्याय किया जायेगा। कर्म पत्र खोल दिये जायेंगे। नरक भड़काई जायेगी। स्वर्ग सामने कर दी जायेगी। और उस समय सभी को वास्तविक्ता का ज्ञान हो जायेगा। इस्लाम के उदय के समय अरब में कुछ लोग पुत्रियों को जन्म लेते ही जीवित गाड़ दिया करते थे। इस्लाम ने नारियों को जीवन प्रदान किया। और उन्हें जीवित गाड़ देने को घोर अपराध घोषित किया। आयत संख्या 8 में उन्हीं नृशंस अपराधियों को धिक्कारा गया है।
मैं शपथ लेता हूँ उन तारों की, जो पीछे हट जाते हैं।
जो चलते-चलते छुप जाते हैं।
और रात की (शपथ), जब समाप्त होने लगती है।
तथा भोर की, जब उजाला होने लगता है।
ये (क़ुर्आन) एक मान्यवर स्वर्ग दूत का लाया हुआ कथन है।
जो शक्तिशाली है। अर्श (सिंहासन) के मालिक के पास उच्च पद वाला है।
जिसकी बात मानी जाती है और बड़ा अमानतदार है।[1]
____________________
1. (15-21) तारों की व्यवस्था गति तथा अंधेरे के पश्चात् नियमित रूप से उजाला की शपथ इस बात की गवाही है कि क़ुर्आन ज्योतिष की बकवास नहीं। बल्कि यह ईश वाणी है। जिस को एक शक्तिशाली तथा सम्मान वाला फ़रिश्ता ले कर मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया। और अमानतदारी से इसे पहुँचाया।
और तुम्हारा साथी उन्मत नहीं है।
उसने उसे आकाश में खुले रूप से देखा है।
वह परोक्ष (ग़ैब) की बात बताने में प्रलोभी नहीं है।[1]
____________________
1. (22-24) इन में यह चेतावनी दी गई है कि महा ईशदूत (मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जो सुना रहे हैं, और जो फ़रिश्ता वह़्यी (प्रकाशना) लाता है उन्हों ने उसे देखा है। वह परोक्ष की बातें प्रस्तुत कर रहे हैं कोई ज्योतिष की बात नहीं, जो धिक्कारे शौतान ज्योतिषियों को दिया करते हैं।
ये धिक्कारी शैतान का कथन नहीं है।
फिर तुम कहाँ जा रहे हो?
ये संसार वासियों के लिए एक स्मृति (शास्त्र) है।
तुममें से उसके लिए, जो सुधरना चाहता हो।
तथा तुम विश्व के पालनहार के चाहे बिना कुछ नहीं कर सकते।[1]
____________________
1. (27-29) इन साक्ष्यों के पश्चात सावधान किया गया है कि क़ुर्आन मात्र याद दहानी है। इस विश्व में इस के सत्य होने के सभी लक्षण सबके सामने हैं। इन का अध्ययन कर के स्वयं सत्य की राह अपना लो अन्यथा अपना ही बिगाड़ोगे।
Icon