ترجمة سورة النّاس

الترجمة الهندية
ترجمة معاني سورة النّاس باللغة الهندية من كتاب الترجمة الهندية .
من تأليف: مولانا عزيز الحق العمري .

(हे नबी!) कहो कि मैं इन्सानों के पालनहार की शरण में आता हूँ।
जो सारे इन्सानों का स्वामी है।
जो सारे इन्सानों का पूज्य है।[1]
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1. (1-3) यहाँ अल्लाह को उस के तीन गुणों के साथ याद कर के उस की शरण लेने की शिक्षा दी गई है। एक उस का सब मानव जाति का पालनहार और स्वामी होना। दूसरे उस का सभी इन्सानों का अधिपति और शासक होना। तीसरे उस का इन्सानों का सत्य पूज्य होना। भावार्थ यह है कि उस अल्लाह की शरण माँगता हूँ जो इन्सानों का पालनहार, शासक और पूज्य होने के कारण उन पर पूरा नियंत्रण और अधिकार रखता है। जो वास्तव में उस बुराई से इन्सानों को बचा सकता है जिस से स्वयं बचने और दूसरों को बचाने में सक्षम है उस के सिवा कोई है भी नहीं जो शरण दे सकता हो।
भ्रम डालने वाले और छुप जाने वाले (राक्षस) की बुराई से।
जो लोगों के दिलों में भ्रम डालता रहता है।
जो जिन्नों में से है और मनुष्यों में से भी।[1]
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1. (4-6) आयत संख्या 4 में 'वस्वास' शब्द का प्रयोग हुआ है। जिस का अर्थ है दिलों में ऐसी बुरी बातें डान देना कि जिस के दिल में डाली जा रही हों उसे उस का ज्ञान भी न हो। और इसी प्रकार आयत संख्या 4 में 'ख़न्नास' का शब्द प्रोग हुआ है। जिस का अर्थ है सुकड़ जाना, छुप जाना, पीछे हट जाना, धीरे धीरे किसी को बुराई के लिये तैयार करना आदि। अर्थात दिलों में भ्रम डालने वाला, और सत्य के विरुध्द मन में बुरी भावनायें उत्पन्न करने वाला। चाहे वह जिन्नों में से हो, अथवा मनुष्यों में से हो। इन सब की बुराईयों से हम अल्लाह की शरण लेते हैं जो हमारा स्वामी और सच्चा पूज्य है।
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