ترجمة سورة الإنفطار

الترجمة الهندية
ترجمة معاني سورة الإنفطار باللغة الهندية من كتاب الترجمة الهندية .
من تأليف: مولانا عزيز الحق العمري .

जब आकाश फट जायेगा।
तथा जब तारे झड़ जायेंगे।
और जब सागर उबल पड़ेंगे।
और जब समाधियाँ (क़बरें) खोल दी जायेंगी।
तब प्रत्येक प्राणी को ज्ञान हो जायेगा, जो उसने किया है और नहीं किया है।[1]
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1. (1-5) इन में प्रलय के दिन आकाश ग्रहों तथा धरती और समाधियों पर जो दशा गुज़रेगी उस का चित्रण किया गया है। तथा चेतावनी दी गई है कि सब के कर्तूत उस के सामने आ जायेंगे।
हे इन्सान! तुझे किस वस्तु ने तेरे उदार पालनहार से बहका दिया?
जिसने तेरी रचना की, फिर तुझे संतुलित बनाया।
जिस रूप में चाहा बना दिया।[1]
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1. (6-8) भावार्थ यह है कि इन्सान की पैदाइश में अल्लाह की शक्ति, दक्ष्ता तथा दया के जो लक्षण हैं, उन के दर्पण में यह बताया गया है कि प्रलय को असंभव न समझो। यह सब व्यवस्था इस बात का प्रमाण है कि तुम्हारा अस्तित्व व्यर्थ नहीं है कि मनमानी करो। (देखियेः तर्जुमानुल क़ुर्आन, मौलाना अबुला कलाम आज़ाद) इस का अर्थ यह भी हो सकता है कि जब तुम्हारा अस्तित्व और रूप रेखा कुछ भी तुम्हारे बस नहीं, तो फिर जिस शक्ति ने सब किया उसी की शक्ति में प्रलय तथा प्रतिकार के होने को क्यों नहीं मानते?
वास्तव में तुम प्रतिफल (प्रलय) के दिन को नहीं मानते।
जबकि तुमपर निरीक्षक (पासबान) हैं।
जो माननीय लेखक हैं।
वे जो कुछ तुम करते हो, जानते हैं।[1]
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1. (9-12) इन आयतों में इस भ्रम का खण्डन किया गया है कि सभी कर्मों और कथनों का ज्ञान कैसे हो सकता है।
निःसंदेह, सदाचारी सुखों में होंगे।
और दुराचारी नरक में।
प्रतिकार (बदले) के दिन उसमें झोंक दिये जायेंगे।
और वे उससे बच रहने वाले नहीं।[1]
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1. (13-16) इन आयतों में सदाचारियों तथा दुराचारियों का परिणाम बताया गया है कि एक स्वर्ग के सुखों में रहेगा और दूसरा नरक के दण्ड का भागी बनेगा।
और तुम क्या जानो कि बदले का दिन क्या है?
फिर तुम क्या जानो कि बदले का दिन क्या है?
जिस दिन किसी का किसी के लिए कोई अधिकार नहीं होगा और उस दिन सब अधिकार अल्लाह का होगा।[1]
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1. (17-19) इन आयतों में दो वाक्यों में प्रलय की चर्चा दोहरा कर उस की भ्यानकता को दर्शाते हुये बताया गया है कि निर्णय बे लाग होगा। कोई किसी की सहायता नहीं कर सकेगा। सत्य आस्था और सत्कर्म ही सहायक होंगे जिस का मार्ग क़ुर्आन दिखा रहा है। क़ुर्आन की सभी आयतों में प्रतिकार का दिन प्रलय के दिन को ही बताया गया है जिस दिन प्रत्येक मनुष्य को अपने कर्मानुसार प्रतिकार मिलेगा।
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