ترجمة سورة النبأ

الترجمة الهندية
ترجمة معاني سورة النبأ باللغة الهندية من كتاب الترجمة الهندية .
من تأليف: مولانا عزيز الحق العمري .

वे आपस में किस विषय में प्रश्न कर रहे हैं?
बहुत बड़ी सूचना के विषय में।
जिसमें मतभेद कर रहे हैं।
निश्चय वे जान लेंगे।
फिर निश्चय वे जान लेंगे।[1]
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1. (1-5) इन आयतों में उन को धिक्कारा गया है, जो प्रलय की हँसी उड़ाते हैं। जैसे उन के लिये प्रलय की सूचना किसी गंभीर चिन्ता के योग्य नहीं। परन्तु वह दिन दूर नहीं जब प्रलय उन के आगे आ जायेगी और वे विश्व विधाता के सामने उत्तरदायित्व के लिये उपस्थित होंगे।
क्या हमने धरती को पालना नहीं बनाया?
और पर्वतों को मेख?
तथा तुम्हें जोड़े-जोड़े पैदा किया।
तथा तुम्हारी निद्रा को स्थिरता (आराम) बनाया।
और रात को वस्त्र बनाया।
और दिन को कमाने के लिए बनाया।
तथा हमने तुम्हारे ऊपर सात दृढ़ आकाश बनाये।
और एक दमकता दीप (सूर्य) बनाया।
और बादलों से मूसलाधार वर्षा की।
ताकि उससे अन्न और वनस्पति उपजायें।
और घने-घने बाग़।[1]
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1. (6-16) इन आयतों में अल्लाह की शक्ति प्रतिपालन (रूबूबिय्यत) और प्रज्ञा के लक्षण दर्शाये गये हैं जो यह साक्ष्य देते हैं कि प्रतिकार (बदले) का दिन आवश्यक है, क्योंकि जिस के लिये इतनी बड़ी व्यवस्था की गई हो और उसे कर्मों के अधिकार भी दिये गये हों तो उस के कर्मों का पुरस्कार या दण्ड तो मिलना ही चाहिये।
निश्चय निर्णय (फ़ैसले) का दिन निश्चित है।
जिस दिन सूर में फूँका जायेगा। फिर तुम दलों ही दलों में चले आओगे।
और आकाश खोल दिया जायेगा, तो उसमें द्वार ही द्वार हो जायेंगे।
और पर्वत चला दिये जायेंगे, तो वे मरिचिका बन जायेंगे।[1]
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1. (17-20) इन आयतों में बताया जा रहा है कि निर्णय का दिन अपने निश्चित समय पर आकर रहेगा, उस दिन आकाश तथा धरती में एक बड़ी उथल पुथल होगी। इस के लिये सूर में एक फूँक मारने की देर है। फिर जिस की सूचना दी जा रही है तुम्हारे सामने आ जायेगी। तुम्हारे मानने या न मानने का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। और सब अपना ह़िसाब देने के लिये अल्लाह के न्यायालय की ओर चल पड़ेंगे।
वास्तव में, नरक घात में है।
जो दुराचारियों का स्थान है।
जिसमें वे असंख्य वर्षों तक रहेंगे।
उसमें ठणडी तथा पेय (पीने की चीज़) नहीं चखेंगे।
सिवाये गर्म पानी और पीप रक्त के।
ये पूरा-पूरा प्रतिफल है।
निःसंदेह वे ह़िसाब की आशा नहीं रखते थे।
तथा वे हमारी आयतों को झुठलाते थे।
और हमने सब विषय लिखकर सुरक्षित कर लिये हैं।
तो चखो, हम तुम्हारी यातना अधिक ही करते रहेंगे।[1]
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1. (21-30) इन आयतों में बताया गया है कि जो ह़िसाब की आशा नहीं रखते और हमारी आयतों को नहीं मानते हम ने उन के एक एक कर्तूत को गिन कर अपने यहाँ लिख रखा है। और उन की ख़बर लेने के लिये नरक घात लगाये तैयार है, जहाँ उन के कुकर्मों का भरपूर बदला दिया जायेगा।
वास्तव में, जो डरते हैं उन्हीं के लिए सफलता है।
बाग़ तथा अँगूर हैं।
और नवयुवति कुमारियाँ।
और छलकते प्याले।
उसमें बकवास और मिथ्या बातें नहीं सुनेंगे।
ये तुम्हारे पालनहार की ओर से भरपूर पुरस्कार है।
जो आकाश, धरती तथा जो उनके बीच है, सबका अति करुणामय पालनहार है। जिससे बात करने का वे साहस नहीं कर सकेंगे।
जिस दिन रूह़ (जिब्रील) तथा फ़रिश्ते पंक्तियों में खड़े होंगे, वही बात कर सकेगा जिसे रहमान (अल्लाह) आज्ञा देगा और सह़ीह़ बात करेगा।
वह दिन निःसंदेह होना ही है। अतः जो चाहे अपने पालनहार की ओर (जाने का) ठिकाना बना ले।[1]
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1. (37-39) इन आयतों में अल्लाह के न्यायालय में उपस्थिति (ह़ाज़िरी) का चित्र दिखाया गया है। और जो इस भ्रम में पड़े हैं कि उन के देवी देवता आदि अभिस्तावना करेंगे उन को सावधान किया गया है कि उस दिन कोई बिना उस की आज्ञा के मुँह नहीं खोलेगा और अल्लाह की आज्ञा से अभिस्तावना भी करेगा तो उसी के लिये जो संसार में सत्य वचन "ला इलाहा इल्लल्लाह" को मानता हो। अल्लाह के द्रोही और सत्य के विरोधी किसी अभिस्तावना के योग्य नगीं होंगे।
हमने तुम्हें समीप यातना से सावधान कर दिया, जिस दिन इन्सान अपना करतूत देखेगा और काफ़िर (विश्वासहीन) कहेगा कि काश मैं मिट्टी हो जाता![1]
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1. (40) बात को इस चेतावनी पर समाप्त किया गया है कि जिस दिन के आने की सूचना दी जा रही है, उस का आना सत्य है, उसे दूर न समझो। अब जिस का दिल चाहे इसे मान कर अपने पालनहार की ओर मार्ग बना ले। परन्तु इस चेतावनी के होते जो इन्कार करेगा उस का किया धरा सामने आयेगा तो पछता-पछता कर यह कामना करेगा कि मैं संसार में पैदा ही न होता। उस समय इस संसार के बारे में उस का यह विचार होगा जिस के प्रेम में आज वह परलोक से अंधा बना हुआ है।
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